dnyanesh wakudkar boltoy !
Sunday, April 3, 2011
dehruutuu ..
हे देहऋतू सारे
आलेत ऊतू सारे
मेघ बरसतो धो धो तरीही
जळते का जाई ?
सजनास पता नाही !
-ज्ञानेश वाकुडकर
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment