Sunday, April 3, 2011

dehruutuu ..

देहरूतू ..
हे देहरूतू सारे ..
आलेत उतू सारे ..
अन वणव्यांची चर्चा ..
करतात पहा वारे ..
मेघ बरसतो धो धो तरीही.. 
जळते का जाई ?
सजणास पता नाही ..
सजणास पता नाही !!

_ज्ञानेश वाकुडकर    

2 comments:

  1. लाख समझाया
    की
    ए दिल
    उनको याद करना छोड़ दे !
    पर दिल के
    हर कोने से
    आवाज आई ...
    यहाँ तो हर सांस में
    वोह बसे है ...
    तोह
    क्या सांस लेना भी छोड़ दे ....!!

    ReplyDelete